साईं बाबा 60 साल तक शिरडी में रहे और गेहूं पीसने का काम लगभग रोज किया.
यहां गेहूं प्रतीक है भक्तों के पाप, दुर्भाग्य, मानसिक और शारीरिक कष्टों का.
चक्की के दोनों पाटों में ऊपर भक्ति और नीचे कर्म था.
चक्की की मुठिया जिसे पकड़कर गेहूं पीसा जाता था, वो ज्ञान का प्रतीक थी.
यानि भक्ति और कर्म के बीच ज्ञान के जरिए ही इंसान की सभी बुराइयों का अंत करते थे साईं.
साईं बाबा का दृढ़ विश्वास था कि जब तक इंसान की प्रवृत्तियां, आसक्ति, घृणा और अहंकार नष्ट नहीं हो जाते तब तक ज्ञान और आत्म अनुभूति संभव नहीं.
मूर्ति, वेदी, अग्नि, प्रकाश, सूर्य, जल और ब्राह्मण, उपासना के इन सात तत्वों के बावजूद सदगुरु ही सबसे श्रेष्ठ माने गए हैं.