गेहूं पीसने की कथा

एक दिन सुबह-सुबह साईं बाबा हाथ से पीसने वाली चक्की से गेहूं पीसने लगे. ये देखकर वहां मौजूद सभी लोग हैरान रह गए लेकिन साईं बाबा से इसका कारण पूछने की हिम्मत किसी में भी नहीं थी. सब सोच रहे थे कि साईं बाबा के ना कोई घर है ना परिवार और इनका गुजारा भी भिक्षा से हो जाता है. फिर साईं गेहूं क्यों पीस रहे हैं. साईं की ये कौन सी लीला है. तभी भीड़ से चार नि़डर महिलाएं निकलीं और बाबा को चक्की से हटाकर खुद गेहूं पीसने लगीं. जब सारा गेहूं पिस गया तो चारों महिलाओं ने आटे के चार हिस्से किए और लेकर जाने लगीं. तभी साईं ने उन्हें रोका और कहा कि ये आटा ले जाकर गांव की मेड़ पर बिखेर आओ. फिर पूछने पर पता चला कि गांव में हैजा नाम की बीमारी का प्रकोप फैल चुका था और आटा पीसकर बिखेरना उसी जानलेवा बीमारी का उपचार था. साईं की लीला ऐसी कि उसी आटे ने गांव से हैजा का संक्रामकता खत्म कर दी और गांव के लोग सुखी हो गए.